100 साल की स्वतंत्रता सेनानी, कुवैत की योग टीचर, देश-विदेश की इन हस्तियों को मिला पद्म पुरस्कार
Padma Awards 2025: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पद्म पुरस्कार की घोषणा कर दी है. गोवा की 100 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी कठपुतली का खेल दिखाने वाली पहली भारतीय महिला समेत 30 गुमनाम नायकों को पद्म अवॉर्ड्स दिया जाएगा.
Padma Awards 2025: गोवा की 100 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी, 150 महिलाओं को पुरुष प्रधान क्षेत्र ढाक वादन में प्रशिक्षित करने वाले पश्चिम बंगाल के ढाक वादक और कठपुतली का खेल दिखाने वाली पहली भारतीय महिला उन 30 गुमनाम नायकों में शामिल हैं जिन्हें पद्मश्री से सम्मानित करने की घोषणा की गई है. सरकारी बयान में शनिवार को यह जानकारी दी गई. इसके अलावा कुवैत की योग साधिका शेखा ए जे अल सबा और उत्तराखंड के ट्रैवल ब्लॉगर कपल ह्यूग और कोलीन गैंटजर को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा.
लीबिया लोबो सरदेसाई ने स्थापित किया था भूमिगत रेडियो स्टेशन
गोवा के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली लीबिया लोबो सरदेसाई ने पुर्तगाली शासन के खिलाफ लोगों को एकजुट करने के लिए 1955 में एक जंगली इलाके में भूमिगत रेडियो स्टेशन ‘वोज दा लिबरडाबे (वॉयस ऑफ फ्रीडम)’ की स्थापना की थी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर सरदेसाई को पद्मश्री से सम्मानित करने की घोषणा की. मध्यप्रदेश की सामाजिक उद्यमी सैली होलकर, मराठी लेखक मारुति भुजंगराव चितमपल्ली नगालैंड के फल किसान एल हैंगथिंग, पुडुचेरी के वादक पी दत्चनमूर्ति को भी पद्मश्री देने की घोषणा की गई है.
कुवैत में शुरू किया पहला लाइसेंस योग स्टूडियो
कुवैत की योग टीचर, शेखा ए जे अल सबाह ने दारात्मा की स्थापना की, जो कुवैत का पहला लाइसेंस प्राप्त योग स्टूडियो है. पारंपरिक तकनीकों को आधुनिक तरीकों के साथ मिलाकर खाड़ी क्षेत्र में योग अभ्यास को बढ़ावा दिया. शेखा ने कुवैत में योग शिक्षा लाइसेंस लॉन्च किया, योग प्रथाओं को आधिकारिक मान्यता प्रदान की. साथ ही वह शेम्स यूथ योगा की सह-संस्थापक हैं, जो 0 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए एक व्यापक पाठ्यक्रम है. 2021 में यमनी शरणार्थियों और आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों के लिए एक फंड रेजर "यमनक लिल यमन" शुरू किया, और 2020 में कुवैत में वंचित बच्चों को शैक्षिक सामग्री प्रदान करके महामारी राहत का समर्थन किया.
कौन हैं 57 साल के गोकुल चंद्र डे, जिन्हें मिला पद्मश्री
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पुरस्कार पाने वालों में पश्चिम बंगाल के 57 वर्षीय ढाक वादक गोकुल चंद्र डे भी शामिल हैं, जिन्होंने पुरुष-प्रधान क्षेत्र में 150 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर लैंगिक रूढ़िवादिता को तोड़ा. डे ने ढाक प्रकार का एक हल्का वाद्ययंत्र भी बनाया, जो वजन में पारंपरिक वाद्ययंत्र से 1.5 किलोग्राम कम था. उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया और पंडित रविशंकर तथा उस्ताद जाकिर हुसैन जैसी हस्तियों के साथ कार्यक्रम किए.
82 साल की सैली होलकर को पद्मश्री
पद्मश्री सम्मान की सूची में शामिल महिला सशक्तीकरण की मुखर समर्थक 82 वर्षीय सैली होलकर ने लुप्त हो रही माहेश्वरी शिल्प कला को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पारंपरिक बुनाई तकनीकों में प्रशिक्षण देने के लिए मध्य प्रदेश के महेश्वर में हथकरघा स्कूल की स्थापना की. रानी अहिल्याबाई होल्कर की विरासत से प्रेरित और अमेरिका में जन्मीं सैली होलकर ने बुनाई की 300 साल पुरानी विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए अपने जीवन के पांच दशक समर्पित कर दिए.
09:24 PM IST