सस्ती कीमत के कारण लोग सेकेंड हैंड गाड़ियां अक्सर खरीदते हैं.
तो समझेंगे सेकेंड हैंड कार खरीदने के क्या नुकसान हो सकता है.
सेकेंड हैंड कार में इसके पार्ट्स की असल स्थिति का सही पता नहीं लग पता है.
सेकेंड हैंड गाड़ी में वारंटी और मेंटेनेंस रिकॉर्ड नहीं होते हैं.
कुछ लोग गाड़ी की रीडिंग कम दिखाने के लिए उसमें फेरबदल करवाते हैं.
पुराने मालिक से यह जानकारी नहीं मिलती कि गाड़ी एक्सीडेंट में रही है या नहीं.
सेकेंड हैंड कार में सेफ्टी और टेक्नोलॉजी फीचर्स कमजोर हो सकते हैं.
सेकेंड हैंड गाड़ियों में एडवांस फीचर्स की कमी होती है.
सेकेंड हैंड गाड़ी की खामी से उसकी रीसेल कीमत घट जाती है.
पुरानी गाड़ियों के इंजन, ब्रेक्स, और टायर जैसी चीजों की रिपेयरिंग महंगी हो सकती है.
सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदने से पहले पूरी जानकारी और जांच सुनिश्चित करें.
(नोट: खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है)
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